Sunday, March 21, 2010

अग्रसेन पब्लिक स्कूल के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह

केंद्रीय जल संसाधन एवं संसदीय मामलों के मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि समाज व राष्ट्र निर्माण में शिक्षा की अहम भूमिका होती है। शिक्षा के बल पर ही भारत विश्व के विकसित देशों की श्रेणी में अग्रणी पंक्ति में शामिल हो सकता है। इसके लिए शिक्षण संस्थानों का दायित्व बनता है कि वह बच्चों को गुणवत्तापरक पूर्ण शिक्षा प्रदान करे। वे शनिवार को अग्रसेन पब्लिक स्कूल के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह में बतौर मुख्यातिथि लोगों को सम्बोधित कर रहे थे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रतियोगिता के इस दौर में क्वालिटी एजुकेशन देने के लिए शिक्षण संस्थानों का कर्तव्य और भी बढ़ जाता है। बच्चों के व्यक्तिगत विकास में माता-पिता से अधिक शिक्षक का योगदान होता है। इसलिए परीक्षा के दिनों में बच्चों पर होने वाले तनाव से शिक्षक ही उबार सकते है। हमें बच्चों को इस प्रकार की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए, जिससे बच्चों को शिक्षा बोझ न लगकर रूचिकर लगे। उन्होंने बच्चों के स्वर्णिम भविष्य की कामना के साथ स्कूल प्रबंधक कमेटी की प्रशसा करते हुए कहा कि यह शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है।

इस अवसर पर राज्यसभा सदस्य ईश्वर सिंह ने कहा कि शिक्षा एक अमूल्य रत्न है, जिसे भाग्यशाली लोग ही प्राप्त कर पाते हैं। वे माता-पिता भाग्यशाली है, जिनकी पहचान उनके बच्चों से होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का कर्तव्य बनता है कि वे बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा का ज्ञान भी दें।

समारोह में स्कूली बच्चों द्वारा राजस्थानी लोक नृत्य, फ्लेमिंगो डांस, कोरियोग्राफी, भंगड़ा, आरकेस्ट्रा तथा कृष्ण नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। इसके पश्चात मुख्यातिथि ने शैक्षणिक उपलब्धियों में अव्वल रहे विद्यार्थियों को विपिन मनचंदा मेमोरियल अवार्ड व मनमोहन सिंघल मेमोरियल अवार्ड से पुरस्कृत किया।

इससे पहले अग्रसेन पब्लिक स्कूल प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने धर्मक्षेत्र व ऐतिहासिक स्थली पर पंहुचने पर मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा स्कूल द्वारा चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों से अवगत करवाया। कार्यक्रम में स्कूल प्रबंधन कमेटी के उपाध्यक्ष विश्वपाल गोयल व अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे। कमेटी के प्रबंधक ईश्वर चंद गोयल ने मुख्यातिथि समेत अन्य अतिथियों का आभार जताया।

Tuesday, March 16, 2010

भारत की 52 शक्ति पीठों में से एक शक्ति पीठ हरियाणा ka शक्ति पीठ भद्रकाली

rakesh rohilla kurukshetra 9996734100
शक्ति पीठ भद्रकाली के पीठ अध्यअक्ष पंडित सत्पाल शर्मा ने बताया की देश भर में नवरात्रि पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है, भारत की 52 शक्ति पीठों में से एक शक्ति पीठ हरियाणा की धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में है जहाँ पर नवरात्रों में शर्धालुओं की भारी भीड़ रहती है, पौराणिक कथाओं के अनुसार यहाँ देव आदि देव भगवान् शिव की पत्नी सती के दाये पैर का टखना गिरा था यह देश की 52 शक्ति पीठो में से एक है कुरुक्षेत्र धर्म भूमि पर यह पुराणिक शक्ति पीठ भद्रकाली के नाम से विख्यात है महाभारत के युद्ध से पूर्व पांडवो ने इसी शक्ति पीठ में आराधना करके विजय की कामना की थी, महाभारत युद्ध के बाद भगवान् श्री कृष्ण ने सबसे सुंदर घोडों की जोड़ी इसी मन्दिर में चढाई थी, प्रचलित कथाओं के अनुसार बाल्य काल में भगवान् श्री कृष्ण का मुंडन सस्कार भी इसी शक्ति पीठ में हुआ था, पौराणिक कथाओं के अनुसार सती दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शंकर की पत्नी थी, एक बार दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार के पास कनखल में गंगा के तट पर ब्रहस्पति स्व यज्ञ का आयोजन किया दक्ष प्रजापति ने सभी देवी देवताओ को यज्ञ में आमित्रित किया लेकिन देव आदि देव भगवान शंकर को यज्ञ का निमत्रण नही भेजा इस बात से खिन सती अपने पति का तिरस्कार सहन नही कर पाई और तिरस्कार का कारण जानने के लिए यज्ञ स्थल पर पहुच गई गुस्से से भरी सती हवन कुण्ड में कूद पड़ी. देव आदि देव भगवान शंकर को सती के हवन कुण्ड में कूदने का पता चला तो वह यज्ञ स्थल पर पहुंचें और आपनी योग शक्ति से सती को हवन कुण्ड से निकाल लिया. मोह वश कंधे पर सती के शव को उठा कर ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने लगे देव आदि देव का मोह भंग करने के लिए भगवान् विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के टुकड़े टुकड़े कर डाले. वामन पुराण के अनुसार जहाँ- जहाँ सती के शरीर के टुकड़े गिरे उन स्थनो को शक्ति पीठ कहा गया. कुरुक्षेत्र के इस स्थान पर सती के दाए पैर का टखना गिरा था जिसे शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है. वही श्रद्धालु कलावती ने बताया की वह यह कई वर्षो से आ रही हे ओर यह आने से मनो कामना पुरी होती हे