Friday, October 22, 2010

52 शक्ति पीठों में से एक शक्ति पीठ हरी की भूमि हरियाणा का एक मात्र सिद्ध शक्ति पीठ धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में




भारत के 52 शक्ति पीठों में से एक शक्ति पीठ हरी की भूमि हरियाणा का एक मात्र सिद्ध शक्ति पीठ धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में है जहाँ नवरात्रों में श्रधालुओ की भारी भीड़ उमड़ पडती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहाँ देव आदि देव भगवान् शिव की पत्नी सती के दाये पैर का टखना गिरा था। कुरुक्षेत्र धर्मभूमि पर यह पौराणिक सावित्री सिद्ध शक्ति पीठ भद्रकाली के नाम से भी विश्वविख्यात है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सती दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शंकर की पत्नी थी। एक बार दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार के पास कनखल में गंगा के तट पर ब्रहस्पति स्वयज्ञ का आयोजन किया दक्ष प्रजापति ने सभी देवी देवताओ को यज्ञ में आमंत्रित किया लेकिन देव आदि देव भगवान शंकर को इस यज्ञ का निमन्त्रण नही भेजा। जब सती अपने पति का तिरस्कार सहन नही कर पाई तो इस बात से खिन्न होकर और तिरस्कार का कारण जानने के लिए यज्ञ स्थल पर पहुच गई। अपने पति का तिरस्कार देखकर सती हवन कुण्ड में कूद पड़ी। देव आदि देव भगवान शंकर को सती के हवन कुण्ड में कूदने का पता चला तो वह यज्ञ स्थल पर पहुंचें और आपनी योग शक्ति से सती को हवन कुण्ड से निकाल लिया। मोह वश कंधे पर सती के शव को उठा कर ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने लगे देव आदि देव का मोह भंग करने के लिए भगवान् विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के 5२ टुकड़े कर डाले। वामन पुराण के अनुसार जहाँ- जहाँ सती के शरीर के टुकड़े गिरे उन स्थनो को शक्ति पीठ कहा गया। कुरुक्षेत्र के इस स्थान पर सती के दाए पैर का टखना गिरा था जिसे सावित्री शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है। पुरानो में इस बात का भी वर्णन मिलता है कि महाभारत युद्ध से पूर्व पांडवो ने इसी स्थान यानिकी सिद्ध सावित्री शक्ति पीठ में आराधना कर युद्ध में विजय होने की कामना की थी, और महाभारत युद्ध के बाद भगवान् श्री कृष्ण ने सबसे सुंदर घोडों की जोड़ी इसी मन्दिर में भेंट स्वरूप चढाई थी। भगवान् श्री कृष्ण द्वारा महाभारत युद्ध के बाद से इस मंदिर में घोडे चढाने की प्रथा आज भी बदस्तूर जारी है। वक्त के साथ भावना तो नहीं बदली लेकिन अंदाज जरुर बदल गया। अब असली घोडों के स्थान पर श्रद्धा अनुसार श्रद्धालु सोने, चांदी, मिटटी और चीनी मिटटी आदि के घोडे मन्दिर में मनोकामना पूरी होने पर भेंट स्वरूप चढाते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार बाल्य काल में भगवान् श्री कृष्ण और बलराम का मुंडन संस्कार भी इसी सावित्री शक्ति पीठ में हुआ था। कहा जाता है कि मंदिर में विराजित देवी कूप में ही माँ का टखना गिरा था। इस कूप के पास स्थित वृक्ष पर धागा बांध कर श्रद्धालु अपनी मनोकामना मांगते हैं। नवरात्रों में यहाँ माँ के दरबार में विशेष पूजा-अर्चना होती है।
जय माँ भद्रकाली

हरियाणवी संस्कृति से रूबरू





राकेश रोहिल्ला कुरुक्षेत्र

म.-9996734100

झूम कै आओ धूम मचाओ..रंग मैं इसकै सब रग जाओ, रत्‍‌नावली हुई 25 की सब हरियाणा दिवस मनाओ..। अबकी बार रत्नावली उत्सव अपने साथ यह जिंगल भी लेकर आया है। इसके साथ ही 25 वर्ष की होने पर पूरे यौवन पर पहुंची रत्‍‌नावली की शुरूआत रत्‍‌नावली के मेले मैं हम धूम मचावागे.. धमाकेदार गीत के साथ होगी।कुवि के युवा एवं सास्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों को बताया कि इस समारोह में लगभग ढाई हजार प्रतिभागी भाग लेकर लोगों पर हरियाणवी संस्कृति से रूबरू कराएंगे। रत्‍‌नावली समारोह 27 से 30 अक्टूबर तक बड़ी धूम धाम से कुवि के युवा एवं सास्कृतिक विभाग द्वारा रजत जयंती के रूप में मनाया जाएगा। हरियाणवी संस्कृति के इस महाकुंभ के रजत जयंती समारोह में इस बार का मुख्य आकर्षण चौपाल होगा, जिसमें शादियों से चले आ रहे चौपाल के कथा-किस्सा और मखौल को जीवंत करने का प्रयास किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि हरियाणवीं संस्कृति के विकास व संरक्षण की यह यात्रा सन 1985 से आरंभ हुई थी, जो अब अपने सफल 25 वर्ष पूरे कर रही है। इस समारोह में हरियाणवी पॉप, हरियाणवी गजल, हरियाणवी भाषण, हरियाणवी कविता आदि को भी शामिल किया जाता है। इस आयोजन की मुख्य सफलता साग का जीवंत होना है, जोकि कभी लुप्त प्राय: हो चुका था।समारोह का शुभारंभ कुवि के कुलपति डॉ. डीडीएस संधू करेंगे और समापन अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा बतौर मुख्यातिथि शिरकत करते हुए विजेताओं को पुरस्कृत करेंगे।

इस प्रकार रहेंगे कार्यक्रम

रत्‍‌नावली समारोह की प्रस्तुति कुवि में पांच मंचों पर की जाएगी। ऑडीटोरियम हाल में 27 अक्टूबर को उद्घाटन समारोह होगा। इसमें रत्‍‌नावली जिंगल डी.जे. कैंडी द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा व रत्‍‌नावली गीत का भी मंचन होगा। उसके साथ ही हरियाणवी पॉप साग प्रतियोगिता होगी। इसी मंच पर दोपहर बाद हरियाणवी गजल पेश की जाएगी। इसी दिन आरके सदन में प्रात: 11 बजे हरियाणवी भजन होगा। ओपन ऐयर थियेटर में हरियाणवी भाषण प्रतियोगिता एवं उसके पश्चात हरियाणवी हास्य नाटिका होगी। खुले मंच पर साय 5 बजे जग्गी सागी द्वारा साग की प्रस्तुति होगी। 28 अक्टूबर को ऑडीटोरियम में महिला एकल नृत्य, दोपहर बाद हरियाणवी एकाकी तथा रात 8 बजे रागनी प्रतियोगिता होगी। आरके सदन में हरियाणवी कविता व दोपहर बाद हरियाणवी एकल वाद्य प्रतियोगिता होगी। ओपन ऐयर थियेटर में हरियाणवी लोक गीत व दोपहर बाद पुरुष एकल नृत्य तथा उसके बाद हरियाणवी चुटकुला प्रतियोगिता होगी। खुले मंच पर सायं 3 बजे साग प्रतियोगिता होगी। क्रश हाल में दोपहर बाद 2 बजे पुरातन हरियाणवी वस्तुओं के संग्रहण की प्रदर्शनी होगी। 29 अक्टूबर को ऑडिटोरियम हाल में लोक परिधान प्रतियोगिता, चौपाल व दोपहर बाद हरियाणवी आरकेस्ट्रा प्रतियोगिता होगी। आरके सदन में हरियाणवी समूह गान प्रतियोगिता होगी। इसी तरह ओपन ऐयर थियेटर में विद्यार्थियों की हरियाणवी रागनी व दोपहर बाद मोनो ऐक्िटग प्रतियोगिता होगी। खुले मंच पर साय 3 बजे साग प्रतियोगिता होगी। क्रश हाल में सुबह 11 बजे ऑन दॉ स्पॉट पेंटिग व दोपहर बाद 2 बजे पेंटिग प्रदर्शनी होगी। समारोह के अंतिम दिन ऑडिटोरियम में प्रात: 10 बजे हरियाणवी समूह नृत्य प्रतियोगिता होगी व दोपहर बाद मुख्य अतिथि के हाथों पुरस्कार वितरण होगा।

रत्‍‌नावली हुई 25 की सब हरियाणा दिवस मनाओ.....


कुरुक्षेत्र ,राकेश रोहिल्ला

झूम कै आओ धूम मचाओ..रंग मैं इसकै सब रग जाओ, रत्‍‌नावली हुई 25 की सब हरियाणा दिवस मनाओ..। अबकी बार रत्नावली उत्सव अपने साथ यह जिंगल भी लेकर आया है। इसके साथ ही 25 वर्ष की होने पर पूरे यौवन पर पहुंची रत्‍‌नावली की शुरूआत रत्‍‌नावली के मेले मैं हम धूम मचावागे.. धमाकेदार गीत के साथ होगी। कुवि के युवा एवं सास्कृतिक विभाग के निदेशक अनूप लाठर ने बृहस्पतिवार को पत्रकारों को बताया कि इस समारोह में लगभग ढाई हजार प्रतिभागी भाग लेकर लोगों पर हरियाणवी संस्कृति से रूबरू कराएंगे। रत्‍‌नावली समारोह 27 से 30 अक्टूबर तक बड़ी धूम धाम से कुवि के युवा एवं सास्कृतिक विभाग द्वारा रजत जयंती के रूप में मनाया जाएगा। हरियाणवी संस्कृति के इस महाकुंभ के रजत जयंती समारोह में इस बार का मुख्य आकर्षण चौपाल होगा, जिसमें शादियों से चले आ रहे चौपाल के कथा-किस्सा और मखौल को जीवंत करने का प्रयास किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि हरियाणवीं संस्कृति के विकास व संरक्षण की यह यात्रा सन 1985 से आरंभ हुई थी, जो अब अपने सफल 25 वर्ष पूरे कर रही है। इस समारोह में हरियाणवी पॉप, हरियाणवी गजल, हरियाणवी भाषण, हरियाणवी कविता आदि को भी शामिल किया जाता है। इस आयोजन की मुख्य सफलता साग का जीवंत होना है, जोकि कभी लुप्त प्राय: हो चुका था।

समारोह का शुभारंभ कुवि के कुलपति डॉ. डीडीएस संधू करेंगे और समापन अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा बतौर मुख्यातिथि शिरकत करते हुए विजेताओं को पुरस्कृत करेंगे।

इस प्रकार रहेंगे कार्यक्रम

रत्‍‌नावली समारोह की प्रस्तुति कुवि में पांच मंचों पर की जाएगी। ऑडीटोरियम हाल में 27 अक्टूबर को उद्घाटन समारोह होगा। इसमें रत्‍‌नावली जिंगल डी.जे. कैंडी द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा व रत्‍‌नावली गीत का भी मंचन होगा। उसके साथ ही हरियाणवी पॉप साग प्रतियोगिता होगी। इसी मंच पर दोपहर बाद हरियाणवी गजल पेश की जाएगी। इसी दिन आरके सदन में प्रात: 11 बजे हरियाणवी भजन होगा। ओपन ऐयर थियेटर में हरियाणवी भाषण प्रतियोगिता एवं उसके पश्चात हरियाणवी हास्य नाटिका होगी। खुले मंच पर साय 5 बजे जग्गी सागी द्वारा साग की प्रस्तुति होगी। 28 अक्टूबर को ऑडीटोरियम में महिला एकल नृत्य, दोपहर बाद हरियाणवी एकाकी तथा रात 8 बजे रागनी प्रतियोगिता होगी। आरके सदन में हरियाणवी कविता व दोपहर बाद हरियाणवी एकल वाद्य प्रतियोगिता होगी। ओपन ऐयर थियेटर में हरियाणवी लोक गीत व दोपहर बाद पुरुष एकल नृत्य तथा उसके बाद हरियाणवी चुटकुला प्रतियोगिता होगी। खुले मंच पर सायं 3 बजे साग प्रतियोगिता होगी। क्रश हाल में दोपहर बाद 2 बजे पुरातन हरियाणवी वस्तुओं के संग्रहण की प्रदर्शनी होगी। 29 अक्टूबर को ऑडिटोरियम हाल में लोक परिधान प्रतियोगिता, चौपाल व दोपहर बाद हरियाणवी आरकेस्ट्रा प्रतियोगिता होगी। आरके सदन में हरियाणवी समूह गान प्रतियोगिता होगी। इसी तरह ओपन ऐयर थियेटर में विद्यार्थियों की हरियाणवी रागनी व दोपहर बाद मोनो ऐक्िटग प्रतियोगिता होगी। खुले मंच पर साय 3 बजे साग प्रतियोगिता होगी। क्रश हाल में सुबह 11 बजे ऑन दॉ स्पॉट पेंटिग व दोपहर बाद 2 बजे पेंटिग प्रदर्शनी होगी। समारोह के अंतिम दिन ऑडिटोरियम में प्रात: 10 बजे हरियाणवी समूह नृत्य प्रतियोगिता होगी व दोपहर बाद मुख्य अतिथि के हाथों पुरस्कार वितरण होगा।



फ्रांस के पर्यटकों का एक दल धर्मनगरी पहुंचा

श्रीकृष्ण की शिक्षाओं व गीता के उपदेश से प्रभावित होकर फ्रांस के पर्यटकों का एक दल शुक्रवार को धर्मनगरी पहुंचा। श्रीकृष्ण संग्रहालय परिसर में पहुंचे पर्यटकों के इस दल ने यहां की हर चीज को अपने कैमरे में कैद किया। श्रीकृष्ण संग्रहालय में प्रवेश कर गीता व श्रीकृष्ण की लीलाओं पर आधारित दुर्लभ पेंटिंग देख तो यह इतने उत्साहित हुए कि श्रीकृष्ण का नाम लेकर झूमने लगे। श्रीकृष्ण संग्रहालय के उपनिदेशक राजेश पुरोहित द्वारा श्रीकृष्ण की लीलाओं की जानकारी पाकर एक पर्यटक श्रीकृष्णा इज ग्रेट कहे बिन नहीं रहा। फ्रांस के इस 37 सदस्यीय दल को अपने साथ लेकर पहुंचे फ्रांकोय बुई ने बताया कि वे तीसरी बार संग्रहालय पहुंचे हैं। हर बार श्रीकृष्ण के बारे में जानकर उनका लगाव बढ़ता ही जा रहा है। उन्होंने कहा हम सभी श्रीकृष्ण के बारे वेबसाइट पर डाले गए विवरण से प्रभावित होकर ही यहां पहुंचे हैं। श्रीकृष्ण संग्रहालय के उपनिदेशक राजेश पुरोहित ने बताया कि हर साल 50 लाख विदेशी पर्यटक भारत आते हैं। इनमें से 60 प्रतिशत उत्तर भारत का भ्रमण करते हैं। उन्होंने कहा कि आज प्रतिस्पर्धा की आग में झुलस रहे विदेशी लोग गीता को महान मानकर आत्मसात करने में लगे हुए हैं।