Wednesday, June 15, 2011
कुरुक्षेत्र में राधा-कृष्ण का दोबारा से मिलन
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में राधा-कृष्ण का दोबारा से मिलन हुआ था । कुरुक्षेत्र में तमाल का वृक्ष है राधा-कृष्ण के मिलन का साक्षी । कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर स्तिथ है तमाल का वृक्ष, जोकि राधा कृष्ण के अटूट प्रेम का प्रतीक है। यह वृक्ष वृन्दावन के आलावा किसी और जगह पर नही पाया जाता। कुरुक्षेत्र की पवित्रता और धार्मिक महत्व इसलिए है क्योंकि यहाँ पर सूर्य ग्रहण के अवसर पर ब्रह्मसरोवर में स्नान और दान करने से 100 अश्वमेध यज के बराबर फल मिलता है । उसी कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर भगवान श्री कृष्ण का राधा जी के साथ मिलन हुआ था । इसके साथ ही कृष्ण मईया यशोदा और नन्द बाबा जी को भी यहाँ पर मिले थे। श्रीमदभागवत पुराण के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण जब बलराम सहित गोकुल छोड़ कर कंस वध के लिए मथुरा जा रहे थे तब सभी गोपियाँ, राधा रानी व् यशोदा और नन्द बाबा श्री कृष्ण के विरह में बहुत ही दुखी हुए थे और पागलों की तरह इधर उधर दोड़ने लगे । थे तब श्री कृष्ण ने उन्हें वचन देते हुए कहा था कि मेरा और आप लोगो का मिलन एक बार फिर दोबारा अवश्य होगा। श्री कृष्ण ने इसी वचन को निभाते हुए द्वापर युग में सोमवती अमावस्या के दिन जब पूर्ण सूर्य ग्रहण लगा था तो इस अवसर पर कुरुक्षेत्र स्थित ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर माता देवकी, पिता वासुदेव और बलराम सहित वे सभी गोपियों, राधा रानी और नन्द बाबा को मिले थे, वही ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर स्तिथ है राधा कृष्ण मिलन मन्दिर। इस मंदिर में वृन्दावन के निधि वन में पाए जाने वाला तमाल का वृक्ष आज भी मोजूद है। कहा जाता है की ये वो वृक्ष है जिसको राधा कृष्ण कि अनुपस्थिति में कृष्ण समझकर इसका अलीग्न किया करती थी। निधि वन में तमाल के वृक्ष कि छाया में भगवान् श्री कृष्ण राधा रानी के साथ रास लीला किया करते थे। वही तमाल का वृक्ष कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर स्तिथ है। तमाल का यह वृक्ष कृष्ण की लीलाओं को संजोये हुए है। कहा जाता है की तमाल का ये वृक्ष वृन्दावन के निधि वन के आलावा कहीं भी नहीं पाया जाता। इस स्थान पर तमाल के वृक्ष का होना राधा कृष्ण के प्रेम मिलन को दर्शाता है। इस वृक्ष की बनावट कुछ इस प्रकार की है की इस वृक्ष की हर टहनी एक-दूसरी टहनी के साथ उपर जाकर मिल जाती है। इस वृक्ष की टहनिया जैसे-जैसे उपर की और बडती है तो वे एक दूसरी के साथ लिपट जाती है। और एक दुरे का अलीग्न करती है ठीक उसी प्रकार जैसे राधा और कृष्ण का अगाध प्रेम था । इस वृक्ष की बनावट इस प्रकार की है जिसमे वृक्ष की हर टहनी दूसरी टहनी से इस तरह से लिपट जाती है जोकि श्री कृष्ण का गोपियों और राधा के साथ अटूट और अगाध प्रेम को दर्शाता है। आज भी सैंकड़ो लोग इस वृक्ष को देख कर भाव विभोर हो जातें है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment