जहा इसान दिन के समय भी जाने से घबराए ऐसे स्थान पर कुछ लोग डेरा डालकर रात को खाना खा कर आराम फरमाए तो अटपटा अवश्य लगता है। इसका प्रमाण ठसका मीरा जी गांव के पास शमशान घाट में देखने का मिला।
बुधवार देर शाम को तीन घोड़ा रेहड़ों पर गाव दर गाव सामान बेचकर गुजारा करने वालों को ग्रामीणों ने इलाके में बाढ़ आने के खतरे से अवगत कराया। इन लोगों ने मारकंडा नदी की ओर न जा कर गाव के पास स्थित शमशान घाट में ही डेरा डाल दिया। इस शमशान घाट में बिजली व पीने के पानी तक का भी प्रबंध नहीं है। इसमें डेरा डालने वालों ने रात के समय चूल्हा जलाकर खाना बनाया और मजे से खाया। बृहस्पतिवार को इन लोगों को देखने गाव के लोग पहुचे। इन लोगों ने बताया कि वे गुड़, शक्कर, खल, साबुन आदि बेचने का काम करते है। इन लोगों ने बताया कि रात के समय ठहरने के लिए शमशान घाट का चयन इस लिए किया गया कि रात के समय ऐसे स्थान पर चोरी का किसी प्रकार का भय नहीं रहता है। ग्रामीणों ने इन लोगों के साहस की सराहना की।
No comments:
Post a Comment